गुरु से ही हर समस्या का समाधान संभव- माँ चैतन्य मीरा

भिलाई। श्री बाकें बिहारी चैरिटेबल ट्रस्ट के द्वारा आयोजित श्रीमद् भागवत कथा के द्वितीय दिवस में परम् पुज्य गुरु माँ चैतन्य मीरा जी के द्वारा सभी को कथा के प्रारंभ में ध्यान मुद्रा के माध्यम से मन को एकाग्रचित करवाया और बताया कि ध्यान के माध्यम से स्वयं को किस प्रकार प्रसन्न और सरल रख सकते हैं।
उन्होने बताया कि भागवत सिर्फ सुनना ही समस्या का हल नही होता बल्कि भागवत को जीवन में उतारना आवश्यक है। यदि हम स्वयं खुद कि कोई गलत आदत पहचानते हैं या दूसरों के माध्यम से जानते हैं तो उस बुराई को छोड़ने का संकल्प लेकर भगवत का श्रवण करना चाहिए। गोकर्ण जी महराज ने जब समस्त ग्रामीणों को उनके संकल्प के साथ कथा सुनाई तो उन सभी के जीवन का स्वतः उद्धार हो गया और उन्हें अन्तिम समय स्वयं ठाकुर का धाम मिला ।
गुरू माँ ने बताया कि वो निकुंभ में विराजमान घनश्याम और श्री राधे सदा हमारे साथ रहते हैं यदि हम उनको महसूस करें, इसलिए ऐसा आभास करो कि वो सदा हमारे साथ हैं। कथा में उन्होने शिव का
कृष्ण से संबंध बताया तथा कहा कि भागवत 4 श्लोकों से बनी है और ये चार श्लोक सम्पूर्ण सवालों का हल है। इनमें भी सूत जी ने छ: प्रशन पूछ थे जिनका सभी हल श्रीमद् भागवत में था और हमें भी इसी प्रकार संतों से जीवन आनंद के लिए प्रश्न करते रहने चाहिये । क्योंकि गुरु ही हल बता सकते है।