राजू खान को हाईकोर्ट से मिली राहत, सुपेला थाना में दर्ज हुई एफआईआर मामले में हाईकोर्ट से मिला स्थगन

भिलाई/बिलासपुर। दुर्ग कोर्ट के निर्देश पर सुपेला पुलिस द्वारा जमीन की धोखाधड़ी और फर्जी दस्तावेज तैयार करने के आरोप में पांच लोगों कुंजलाल देशमुख, हफीजुल्ला खान, राजू खान, राजेश प्रधान और खेमराज के खिलाफ विभिन्न धाराओं के तहत दर्ज की गई एफआईआर के खिलाफ बिलासपुर हाईकोर्ट ने राजू खान को राहत प्रदान किया है।
राजू खान ने अपने अधिवक्ता के माध्यम से हाईकोर्ट बिलासपुर में सुपेला थाने में अपने खिलाफ दर्ज एफआईआर को लेकर चुनौती दी थी जिस पर बुधवार को हाईकोर्ट के डबल बेंच में सुनवाई हुई। डबल बेंच में मामले की सुनवाई करते हुए न्यायधीश रविंद्र कुमार अग्रवाल और रमेश सिन्हा ने अपना आदेश पारित किया।
बिलासपुर उच्च न्यायालय की डबल बेंच के अनुसार अपीलकर्ता के अधिवक्ता सुनील साहू को सुना गया। प्रतिवादी संख्या 1 और 2/राज्य की ओर से उपस्थित पैनल वकील शैलेन्द्र शर्मा और प्रतिवादी संख्या 3 की ओर से उपस्थित वकील आकाश कुमार कुंडू को भी सुना गया।
याचिकाकर्ता के वकील द्वारा तर्क दिया गया है कि प्रतिवादी क्रमांक 3/शिकायतकर्ता ने न्यायिक मजिस्ट्रेट प्रथम श्रेणी दुर्ग, जिला दुर्ग (छत्तीसगढ़) के न्यायालय में सीआरपीसी की धारा 156(3) के तहत याचिकाकर्ता और 4 अन्य व्यक्तियों के खिलाफ भारतीय दंड संहिता की धारा 120-बी, 34, 420, 467 और 468 के तहत दंडनीय अपराधों के लिए अपराध क्रमांक 276/2025 के तहत एफआईआर दर्ज करने के लिए आवेदन दायर किया था। उन्होंने आगे तर्क दिया कि विद्वान मजिस्ट्रेट ने कथित घटना के लगभग 17 वर्षों के बाद एफआईआर दर्ज करने का निर्देश देने वाला आदेश पारित करने में कानूनी त्रुटि की है और अंतिम रिपोर्ट दायर करने का निर्देश इसलिए जारी किया गया है क्योंकि विद्वान मजिस्ट्रेट ने मामले को आगे बढ़ाया और संबंधित पुलिस स्टेशन से रिपोर्ट मांगी और रिपोर्ट प्राप्त करने के बाद रिपोर्ट पर विचार किए बिना ही कानून के स्थापित सिद्धांत के विपरीत आदेश पारित कर दिया।
याचिकाकर्ता के वकील द्वारा आगे यह भी प्रस्तुत किया गया कि विद्वान ट्रायल कोर्ट यह विचार करने में विफल रहा है कि शिकायतकर्ता केवल इस इरादे से ऐसा कर रहा था कि किसी दुर्भावना के कारण याचिकाकर्ता को परेशान करने के लिए दिनांक 14.08.2007 को बिक्री विलेख के निष्पादन की तारीख से 17 वर्ष से अधिक समय के बाद वर्तमान शिकायत दर्ज की गई। वह प्रस्तुत करेगा कि प्रतिवादी नंबर 3 / शिकायतकर्ता की जमीन याचिकाकर्ता की जमीन से पूरी तरह अलग है क्योंकि याचिकाकर्ता और हफीजुल्लाह ने खसरा नंबर 76/01 क्षेत्र 0.90 हेक्टेयर खरीदा है और इसे 24.05.2008 को शांतिलाल पटेल और उनकी पत्नी, अर्थात् आशा पटेल को बेच दिया है, जो उक्त जमीन के कब्जे में थे कि शिकायतकर्ता / प्रतिवादी नंबर 3 ने याचिकाकर्ता के साथ कुछ दुर्भावना रखते हुए और बदला लेने के लिए सिविल मामले को आपराधिक मामले में बदल दिया, हालांकि, पक्षों के बीच विवाद पूरी तरह से सिविल प्रकृति का है।
चूंकि प्रतिवादी पहले ही मामले में अपनी उपस्थिति दर्ज करा चुके हैं, इसलिए उन्हें नये नोटिस जारी करने की कोई आवश्यकता नहीं है। राज्य वकील और प्रतिवादी संख्या 3 को अपना जवाबी हलफनामा दाखिल करने के लिए दो सप्ताह का समय दिया जाता है और उसके बाद याचिकाकर्ता के वकील को प्रत्युत्तर दाखिल करने के लिए दो सप्ताह का समय दिया जाता है।इसके बाद इस मामले को सूचीबद्ध करें। सूचीबद्ध होने की अगली तारीख तक या सीआरपीसी की धारा 173(2) (अब बीएनएसएस की धारा 193(3) के तहत) के तहत पुलिस रिपोर्ट, यदि कोई हो, सक्षम न्यायालय के समक्ष प्रस्तुत करने तक, जो भी पहले हो, याचिकाकर्ता राजू खान की गिरफ्तारी, अपराध संख्या 276/2025 दिनांक 13.03.2025 के आरोपित एफआईआर के अनुसरण में, स्थगित रहेगी, बशर्ते कि याचिकाकर्ता जांच में पूर्ण सहयोग करेगा और जांच में सहायता के लिए बुलाए जाने पर उपस्थित होगा। रजिस्ट्री को प्रतिवादी संख्या 3 की ओर से वकील आकाश कुमार कुंडू का नाम वाद सूची में दर्शाने का निर्देश दिया गया है।