सीएएफ कैंप न हटाने की मांग को लेकर रात भर धरने पर बैठे रहे ग्रामीण
कांकेर। बस्तर संभाग में जब भी नए कैंप खोले जाने की बात आती है, तब ग्रामीण सड़कों पर उतर आते हैं और कैंप का विरोध करते हैं. कई दफा ग्रामीणों पर गंभीर आरोप भी लगाए जाते है, लेकिन कांकेर जिले से इसके विपरीत मामला निकल कर आया है. दुर्गुकोंदल ब्लॉक के जाड़ेकुर्से गांव में स्थापित सीएएफ कैंप को हटाने जब पुलिस ने कार्यवाही शुरू की तो ग्रामीण विरोध में उतर आए. ग्रामीणों ने कैंप यथावत रखने को लेकर आंदोलन शुरू कर दिया है. ग्रामीणों का कहना है कि कैंप हटाया जाएगा तो फिर नक्सली गांव में आयेंगे और उन्हें परेशान करेंगे, इसलिए कैंप को नहीं हटाने को लेकर ग्रामीण लामबंद हो गए हैं.
ग्रामीणों ने बताया कि लंबे समय तक नक्सल दहशत में रहे हैं. कई ग्रामीणों को नक्सलियों ने मार डाला, सुबह से लेकर रात तक हमारा जीवन सिर्फ नक्सलियों के डर के साए में बीतता था, लेकिन जबसे पुलिस ने यहां कैंप खोला हमने खुलकर जीना सीखा है। आज हम किसी भी समय आराम से आ जा सकते हैं. अगर कैंप हटा दिया जाएगा तो फिर नक्सली गांव की ओर रुख करेंगे. फिर दहशत के साए में जीवन जीना पड़ेगा, इसलिए कैंप नहीं हटाने को लेकर आंदोलन कर रहे हैं।
ग्रामीणों का कहना है कि पहले नक्सली जनअदालत लगाकर लोगों की पिटाई करते थे. शासन प्रशासन को जानकारी दी गई. फिर यहां कैंप लगाया गया. अब ग्रामीण शांति से रहने लगे. ग्रामीण पढ़ाई भी करने लगे. अब हर घर से कोई न कोई 12वीं पास कर चुका है. अब कैंप चला जाएगा तो हमें दिक्कत होगी.
ग्रामीणों का कहना है कि कैंप लगने की वजह से रोड बनी है. स्कूल में पढ़ाई हो रही है. लोग पुलिस भर्ती की तैयारी कर रहे हैं. बीएसएफ कैंप के निर्देशन में हमारे गांव के लोगों का आर्मी में सिलेक्शन हुआ है. ग्रामीणों का कहना है कि फोन से सांसद से भी बात की गई है. उन्होंने आश्वासन दिया है कि कैंप नहीं हटेगा.
महिलाओं का कहना है कि कैंप लगने के बाद से हम सुख शांति से रह रहे हैं. हमारे बच्चे अच्छे से पढ़ाई कर रहे हैं. हम चाहते हैं कि कैंप न हटाया जाए. कैंप हटेगा तो नक्सली यहां आकर हमें गोली मार देंगे.
ग्रामीणों का यह भी कहना है कि हर दस किमी में कैंप खुला तबसे हम सुरक्षित महसूस कर रहे हैं. यह कैंप भी पांच पंचायत में सर्चिंग करते हैं इसलिए हम सुरक्षित हैं. कैंप हटेगा तो लाल आतंक वाले फिर वापस आ जाएंगे.