DMF घोटाले पर कांग्रेस नेता जयराम रमेश के एक्स पर की गई रि-पोस्ट को लेकर मचा घमासान

रायपुर। कभी-कभी राजनीति की जल्दबाज़ी बड़ी गड़बड़ी में बदल जाती है। ऐसा ही कुछ इस बार कांग्रेस के वरिष्ठ नेता जयराम रमेश के साथ हो गया। मामला छत्तीसगढ़ के चर्चित डीएमएफ (डिस्ट्रिक्ट माइनिंग फंड) घोटाले से जुड़ा है।दरअसल, जयराम रमेश ने एक्स (पूर्व ट्विटर) पर दैनिक भास्कर की एक पुरानी खबर को रि-पोस्ट कर दिया। यह खबर उस घोटाले से जुड़ी है, जो कांग्रेस सरकार के दौरान हुआ था। अब सवाल यह है कि क्या जयराम रमेश से यह गलती जल्दबाज़ी में हुई या इसके पीछे कुछ और कहानी है फिलहाल एक्स पर इसको लेकर खूब चर्चा हो रही है।
जिस खबर को जयराम रमेश ने रि-पोस्ट किया, उसे स्वतंत्र पत्रकार दयाशंकर मिश्रा ने अपने एक्स अकाउंट पर शेयर किया था। दिलचस्प बात यह है कि दयाशंकर मिश्रा, कांग्रेस नेता राहुल गांधी की जीवनी के लेखक भी रह चुके हैं। संभवतः इसी भरोसे के कारण जयराम रमेश ने बिना तथ्य की पुष्टि किए पोस्ट को रिपोस्ट कर दिया। दयाशंकर मिश्रा ने खबर को शेयर करते हुए लिखा कि छत्तीसगढ़ में भ्रष्टाचार का व्यवस्थित घोटाला सामने आया है। रिश्वतखोरी के लिए नए नियम बनाए गए। कलेक्टर साहब 57 करोड़ से ज्यादा की रिश्वत ले रहे हैं। आदिवासियों के विकास की कहानी इसी तरह लिखी जा रही है। सरकार भ्रष्टाचार पर चुप है, पूरा ध्यान नफरत की राजनीति और अंग्रेज़ी को शर्मिंदा करने पर है।
शायद इस टिप्पणी से ऐसा संदेश गया कि मानो यह घोटाला भाजपा सरकार के दौरान हुआ हो। जबकि तथ्य यह है कि यह घोटाला कांग्रेस सरकार के कार्यकाल से जुड़ा है, जिस पर ईडी और EOW ने पहले ही जांच शुरू कर दी है। ईडी (ED) की रिपोर्ट के आधार पर EOW ने IPC की धारा 120B व 420 के तहत केस दर्ज किया है। जांच में सामने आया कि कोरबा जिले के डिस्ट्रिक्ट माइनिंग फंड से जुड़े विभिन्न टेंडरों में भारी अनियमितता की गई। ठेकेदारों को अवैध लाभ पहुंचाया गया और टेंडरों में बड़ा घोटाला किया गया। रिपोर्ट में यह भी खुलासा हुआ कि टेंडर की राशि का करीब 40% कमीशन सरकारी अधिकारियों को दिया गया। निजी कंपनियों के टेंडरों में 15-20% अलग-अलग स्तरों पर भी कमीशन लिए गए। ED की जांच में यह भी पाया गया कि IAS अफसर रानू साहू और कुछ अन्य अधिकारियों ने अपने पद का दुरुपयोग कर घोटाले को अंजाम दिया।