चर्चित अंतागढ़ टेपकांड मामले में मंतूराम पवार के खिलाफ केस बंद
कोर्ट ने खात्मा रिपोर्ट मंजूर की
रायपुर। छत्तीसगढ़ के चर्चित अंतागढ़ टेपकांड मामले में 10 साल बाद न्यायिक प्रक्रिया का अंत हो गया है। पंडरी थाने में दर्ज इस मामले की जांच विशेष जांच दल (एसआईटी) ने की थी, जिसमें कथित ऑडियो रिकॉर्डिंग्स और आरोपियों के वॉइस सैंपल्स का फोरेंसिक परीक्षण किया गया था। इन सैंपल्स का मिलान नहीं हो पाने के कारण, एसआईटी ने अपनी रिपोर्ट में केस को बंद करने की सिफारिश की थी। रायपुर की जिला अदालत ने अब इस खात्मा रिपोर्ट को मंजूरी दे दी है, जिससे मामला समाप्त हो गया है।
यह टेपकांड 2018 के विधानसभा चुनावों के दौरान एक बड़ा राजनीतिक मुद्दा बना था। इस मामले की जड़ें 2014 के अंतागढ़ उपचुनाव से जुड़ी हैं, जहां कांग्रेस प्रत्याशी मंतूराम पवार ने नामांकन वापस ले लिया था, जिससे भाजपा उम्मीदवार को बिना मुकाबले के जीत हासिल हो गई थी। बाद में एक ऑडियो क्लिप सामने आई, जिसमें कथित तौर पर तत्कालीन कांग्रेस विधायक अमित जोगी, डॉ. पुनीत गुप्ता और अन्य के बीच 7 करोड़ रुपये की डील की बात सामने आई थी।
कांग्रेस ने 2018 में सत्ता में आने के बाद इस मामले की जांच के लिए एसआईटी का गठन किया। 2019 में पंडरी पुलिस ने अजीत जोगी, अमित जोगी, पूर्व मंत्री राजेश मूणत और मंतूराम पवार समेत अन्य के खिलाफ मामला दर्ज किया था। एसआईटी ने इन सभी का वॉइस सैंपल लिया और फोरेंसिक जांच के लिए पहले भोपाल और फिर हैदराबाद और गुजरात लैब्स भेजा। लेकिन सभी जगह से रिपोर्ट्स निगेटिव आईं, जिससे आरोपियों के खिलाफ आरोप सिद्ध नहीं हो सके।
जांच के दौरान एसआईटी को कई तकनीकी दिक्कतों का सामना करना पड़ा। वॉइस रिकॉर्डिंग्स की गुणवत्ता ठीक नहीं थी, और जिस डिवाइस से ऑडियो रिकॉर्ड किया गया था, उसे भी जब्त नहीं किया जा सका। इन कारणों से, जांच के लिए आवश्यक पर्याप्त सबूत जुटाने में एसआईटी नाकाम रही। अंततः, 2023 में सरकार ने फिर से जांच का निर्देश दिया, लेकिन परिणाम वही रहा और मामला ठंडे बस्ते में चला गया। अब अदालत द्वारा खात्मा रिपोर्ट को मंजूरी मिलने के साथ ही यह मामला पूरी तरह से बंद हो गया है।