बलौदाबाजार। बलौदाबाजार जिले में चर्चित सेक्स स्कैंडल मामले में बड़ी कारवाई की है। इस मामले में पांचवी एफआईआर दर्ज की गई है। वहीं मामले में शामिल एक महिला और युवक को गिरफ्तार किया हैं। इससे पहले प्रधान आरक्षक, पूर्व विधायक प्रतिनिधि समेत 8 लोगो की गिरफ्तारी हो चुकी हैं। जांच के बाद पुलिस विभाग के और भी बड़े चेहरे सामने आ सकते हैं।
दरअसल यह मामला बलौदाबाजार का है। जहां पर चर्चित सेक्स स्कैंडल मामले में पुलिस ने बड़ी कारवाई की है। मामले में एक महिला और युवक को गिरफ्तार किया गया हैं। इससे पहले एक पत्रकार समेत प्रधान आरक्षक और पूर्व विधायक समेत 8 लोगों को पुलिस ने हिरासत में लिया था। वहीं पुलिस मामले की जांच में जुटी है। जांच के बाद पुलिस विभाग के पूर्व में पदस्थ निरीक्षक स्तर के अधिकारी के ऊपर भी शिकंजा कस सकता है। चर्चित सेक्स स्कैंडल और ब्लैकमेलिंग मामले में पुलिस ने एक और आरोपी को गिरफ्तार किया था। आरोपी पत्रकार आशीष शुक्ला ने सोशल मीडिया में एक वीडियो पोस्ट किया है। जिसमें अपने आप को सरेंडर करने की बात कह रहा था। पहले भी इस मामले में एक पुलिस आरक्षक समेत सात लोगों की गिरफ्तारी हो चुकी थी। पुलिस ने बताया कि, इस मामले में संलिप्त एक और महिला आरोपी अभी फरार थे। पुलिस ने केस दर्ज कर अज्ञात आरोपियों की तलाश कर रही थी। फिलहाल दोनों आरोपी पुलिस की गिरफ्त में हैं।
बता दें कि, इस बहुचर्चित सेक्स स्कैंडल मामले में सरगना शिरीष पांडे की गिरफ्तारी के बाद शुक्रवार को सायबर सेल ने विभाग में ही पदस्थ प्रधान आरक्षक अंजोर दास मांझी को गिरफ्तार किया गया था। आरोपी प्रधान आरक्षक को पुलिस रिमांड के लिए न्यायालय में पेश किया गया। इस घिनौने काम में अंजोर दास मांझी कि संलिप्तता पर लगातार मीडिया के द्वारा सवाल उठाए जा रहे थे। इसको लेकर इसके पुलिस कार्रवाई पर सवालिया निशान उठ रहे थे। क्योंकि सैक्स स्केंडल मामले में कुछ पुलिसकर्मियों के भी लिप्त होने की खबर थी। बताया जा रहा है कि, जांच में आरोपी के बैंक खाते से करोड़ों रुपए के लेनदेन के सबूत मिले हैं।
बलौदाबाजार एसपी विजय अग्रवाल ने मीडिया को भरोसा दिलाया था कि, मामले में जांच की जा रही है। इसमें जो भी शामिल होगा, उसके खिलाफ कार्रवाई करेंगे। जिसके बाद से सायबर पुलिस की टीम लगातार नजर रखी थी और मौका मिलते ही आज आरोपी आरक्षक को पीटीएस माना रायपुर से पकड़ लिया गया। वही जानकार सैक्स स्कैंडल मामले में शामिल होने एवं लाखों रुपए के लेनदेन को लेकर आरोपी आरक्षक की मौजूदगी के सबूत प्रार्थी पुलिस को पहले ही दे चुके थे। उसके बावजूद पुलिस जांच में देरी की जा रही थी। लेकिन मीडिया के बढ़ते दबाव को देखते हुए आखिरकार पुलिस को झुकना ही पड़ा और जांच में अपने ही विभाग में पदस्थ आरक्षक को आखिर कार गिरफ्तार करना पड़ा। गिरफ्तारी के बाद आरोपी को कोर्ट में पेश किया गया था।