मां बम्लेश्वरी पहाड़ी का एक बड़ा चट्टान खिसककर सीढ़ियों पर गिरा

डोंगरगढ़। धर्मनगरी डोंगरगढ़ स्थित मां बम्लेश्वरी पहाड़ी पर एक बड़ा चट्टान खिसककर गिर गया। इस दौरान कई बड़े पेड़ धराशायी हो गए हैं। मां रणचंडी प्राचीन मन्दिर से होते हुए ऊपर स्थित मां बम्लेश्वरी मंदिर जाने वाली नई सीढियों के पास यह हादसा हुआ है। पहली बार इस प्रकार की घटना होने के चलते जिससे इलाके में दहशत फैल गई। हादसा नई सीढियों के पास हुआ है यहीं से वन विभाग ने ऊपर मंदिर जाने के लिए एक मार्ग बनाया है। जिसका एक हिस्सा बुरी तरह क्षतिग्रस्त हो गया। स्थानीय लोगों ने बताया की पहाड़ी पर ऐसा हादसा पहली बार हुआ है। स्थानीय निवासी मान बाई नेताम ने बताया कि, सुबह जैसे बादल गरजते हैं वैसे आवाज आई। हमारा लड़का चिल्लाया कि माई, पत्थर गिर रहा है। हम लोग तो बचपन से यहां हैं, लेकिन ऐसा पहली बार देखा। गनीमत रही कि चट्टान दूसरी चट्टानों पर अटक गई, वरना नीचे बसे घरों और रास्तों पर बड़ा हादसा हो सकता था।
सूत्रों की मानें तो पहाड़ी के ऊपर एक बड़ी चट्टान को हटाने के लिए बारूदी ब्लास्टिंग की गई थी, जिससे पहाड़ी की संरचना कमजोर हो गई। इसके अलावा पहाड़ी पर लंबे समय से हो रहा अवैज्ञानिक निर्माण, पत्थरों की कटाई और पेड़ों की अंधाधुंध कटाई भी इस हादसे का कारण मानी जा रही है।
इस तरह की गतिविधियां पहाड़ी की मजबूती को कमजोर कर रही हैं। हादसे में पहाड़ी पर रणचंडी मंदिर की ओर बनी करीब 500 सीढ़ियों के ऊपर का हिस्सा टूटकर क्षतिग्रस्त हो गया और मार्ग अवरुद्ध हो गया।
घटना को लेकर वन परिक्षेत्र अधिकारी भूपेंद्र उइके ने कहा कि, मां बम्लेश्वरी पहाड़ी के पीछे दर्शन मार्ग में गिरी चट्टान और पेड़ों को हटाकर रास्ता साफ करा दिया गया है ताकि श्रद्धालुओं का आना-जाना बाधित न हो। उन्होंने बताया कि, दो विशाल चट्टानों के गिरने से कई पेड़ जरूर धराशायी हुए हैं, चूंकि ये बड़ी चट्टान है इसे हटाया नहीं जा सकता, लेकिन गनीमत रही कि कोई जनहानि नहीं हुई। प्रथम दृष्टया यह प्राकृतिक आपदा का मामला प्रतीत होता है, लेकिन वन विभाग घटना के कारणों की जांच करेगा और भविष्य में ऐसी घटनाओं को रोकने के लिए आवश्यक कदम उठाएगा। पहाड़ी और पर्यावरण संरक्षण की जिम्मेदारी पर्यावरण मंत्रालय और संबंधित विभागों की है।
बिना भू-वैज्ञानिक परीक्षण के पहाड़ी पर की जा रही खुदाई, बारूदी ब्लास्टिंग और अवैज्ञानिक निर्माण कार्यों पर पर्यावरण मंत्रालय और संबंधित विभागों को तत्काल संज्ञान लेना चाहिए। यदि पहाड़ी पर हो रहे अंधाधुंध निर्माण और छेड़छाड़ को नहीं रोका गया तो भविष्य में बड़ा हादसा हो सकता है। यह घटना प्रशासन और ट्रस्ट के लिए चेतावनी है कि आस्था और विकास के बीच पर्यावरणीय संतुलन बनाना जरूरी है।