पूर्व सीएम भूपेश बघेल ने कहा सरकार को सिर्फ उद्योगपतियों की चिंता है आम लोगों की नहीं

रायपुर। केंद्र सरकार के पास जनता को देने के लिये कुछ नहीं है. उद्योगपति कैसे बढ़े उसकी चिंता है, लेकिन जो ऐसे उद्योग जिनसे लोगों को रोजगार मिलता है, नौकरियां मिलती उनके लिए भी बजट में कुछ नहीं है. देश की अर्थव्यवस्था अब निर्मला सीतारमण के हाथ में नहीं रही अब जो कुछ भी है अंतरराष्ट्रीय घटनाक्रमों से ही देश की अर्थव्यवस्था संचालित हो रही है. यह कहना है छत्तीसगढ़ के पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल काl
पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने एक बार फिर केंद्रीय बजट को लेकर केंद्र सरकार पर जोरदार हमला बोला है. भूपेश बघेल ने कहा कि जैसे जैसे समय बीत रहा है केंद्रीय बजट की असलियत सामने आ रही है. इससे लोग निराश हो रहे हैं. इस बजट में मजदूरों के लिये कुछ भी नहीं है. मनरेगा की दर तक नहीं बढ़ाई गई. प्रति माह महंगाई बढ़ गई लेकिन मनरेगा में दर नहीं बढ़ाई गई. बघेल ने कहा कि छत्तीसगढ़ में 13 लाख मनरेगा मजदूरों के नाम काट दिए गए हैं. किसानों के लिये भी बजट में कुछ नहीं है. जो किसान लगातार एमएसपी की मांग कर रहे थे, वो भी नहीं मिला. नौजवानों के लिये कुछ भी नहीं है.
 बघेल ने कहा कि अमेरिकी सरकार ने स्टील की 25 प्रतिशत टैक्स लगाया है. सेंसेक्स भी एक दम नीचे गिरा गया है. लोगों के 10 लाख करोड़ डूब गए. शेयर बाजार लगातार गोते लगा रहा है. कभी चीन झुकाता है, कभी अमेरिका झुकाता है. बजट जनता के हिसाब से नहीं आने लगा. सरकार यह कहती है 80 करोड़ लोगो को हम लोग मुफ्त अनाज देंगे. अब 25 करोड़ लोग गरीबी रेखा के नीचे से ही बाहर ले आये. 105 करोड़ अब जो बच गया 35 करोड़ लोग में बच्चे भी होंगे, महिलाएं होंगे. चुनाव के लिये सरकार कुछ नहीं कर पा रही है. सरकार के पास जनता को देने के लिए कुछ नहीं है. ऐसे उद्योग जिनसे लोगों को नौकरी मिलती है उन्हें कुछ नहीं दिया गया.
 बघेल ने कहा कि अमेरिकी सरकार ने स्टील की 25 प्रतिशत टैक्स लगाया है. सेंसेक्स भी एक दम नीचे गिरा गया है. लोगों के 10 लाख करोड़ डूब गए. शेयर बाजार लगातार गोते लगा रहा है. कभी चीन झुकाता है, कभी अमेरिका झुकाता है. बजट जनता के हिसाब से नहीं आने लगा. सरकार यह कहती है 80 करोड़ लोगो को हम लोग मुफ्त अनाज देंगे. अब 25 करोड़ लोग गरीबी रेखा के नीचे से ही बाहर ले आये. 105 करोड़ अब जो बच गया 35 करोड़ लोग में बच्चे भी होंगे, महिलाएं होंगे. चुनाव के लिये सरकार कुछ नहीं कर पा रही है. सरकार के पास जनता को देने के लिए कुछ नहीं है. ऐसे उद्योग जिनसे लोगों को नौकरी मिलती है उन्हें कुछ नहीं दिया गया.
 

 
						


