श्रीराम कथा में राम वनगमन का प्रसंग का श्रवण कर श्रद्धालु हुए भावविभोर
श्रीराम कथा समिति हुडको ने किया है 7 दिवसीय श्रीराम कथा का आयोजन
भिलाई। लघु भारत कहे जाने वाले औद्योगिक तीर्थ नगरी भिलाई के आमदी नगर हुडको के मंगलबाजार स्थित गणेश गणेश मंदिर पंडाल में 6 जनवरी से प्रारंभ हुए श्रीराम कथा के चौथे दिन महाराष्ट्र से पधारे श्रीराम कथा वाचक राम ज्ञानी दास महराज ने राम वन गमन का सुंदर चित्रण करते हुए बताया कि भगवान राम जी के साथ- साथ उनके सभी भाइयों का विवाह भी जनकपुर में संपन्न हुआ। महाराज दशरथ, रानियां तथा तमाम अयोध्यावासी प्रसन्न हैं।
एक दिन राजा के मन में अपनी बढ़ती अवस्था को देखकर विचार आया कि अब राज्य का कार्यभार रामचंद्र को सौंप देना चाहिए। राम जन-जन के प्रिय थे, इसलिए सभी दरबारियों ने इसका समर्थन किया। नगर में इस बात का एलान हुआ कि कल रामचंद्र का राजतिलक किया जाएगा। यह सूचना रानी कैकेयी की विशेष दासी मंथरा ने भी सुनी और जाकर रानी कैकेयी को मशविरा दिया कि वो राम के बदले अपने पुत्र भरत के लिए राज्य मांग लें और राम को 14 वर्षों के लिए वनवास भिजवा दें।
कैकेयी पहले तो इसके लिए तैयार नहीं थीं मगर मंथरा की बातों में आकर सहमति दे दी। कैकेयी ने राजा दशरथ से दो वरदान प्राप्त करने थे। मंथरा के कहने पर यही दोनों बातें वरदान में मांग लीं। राजा बहुत दुखी हुए, रानी को समझाया, मिन्नतें की मगर रानी अपनी बात पर अड़ी रहीं। श्रीराम ने सुना तो पिता के वचन की लाज रखने के लिए सहर्ष वन जाने को तैयार हो गए। सीता जी और लक्ष्मण जी ने भी साथ जाने की हठ की और अब तीनों ने ही वनवासी वेष में प्रस्थान किया।
श्रीराम कथा आयोजन समिति हुडको द्वारा आयोजित श्रीराम कथा के चौथे दिवस की श्रीराम कथा सुनने पहुंचे दुर्ग लोकसभा सांसद विजय बघेल सहित श्रीराम कथा का श्रवण करने पहुंचे सभी धर्मावलंबी राम वन गमन का प्रसंग सुनकर भावविभोर हो गए।