मनेन्द्रगढ़

सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र मनेंद्रगढ़ में स्त्री रोग विशेषज्ञ ज्वाइन करने में नहीं ले रही रुचि पद पड़ा खाली देखना यह है की कब मिलती है सुविधा गरीबों को

मनेंद्रगढ़ आपको बता दे कि अब तक सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र विशेषज्ञों की कमी से जूझ रहा है, कारण सेटअप अनुसार विशेषज्ञों की भर्ती हो गई है। लेकिन जिम्मेदार अधिकारी स्त्री रोग विशेषज्ञ का आदेश मनेंद्रगढ़ में किया गया लेकिन जिम्मेदार ने यहां ज्वाइनिंग ही नहीं किया,इससे यह साबित होता है कि संबंधित डॉक्टरों को मरीजों से कोई लेना देना नही न ही वह उच्च अधिकारियों के आदेश का पालन करते है।
जिलेवासियों को पर्याप्त विशेषज्ञों के माध्यम से स्वास्थ्य मिल पाएगा या नहीं, इस संबंध में कुछ कहना नहीं जा सकता है। शासन ने डाॅक्टरों के नियुक्ति की थी। लेकिन अधिकांश ने तो ज्वाइन किया लेकिन स्त्री रोग विशेषज्ञ ने ज्वाइनिंग लेने में दिलचस्पी ही नहीं दिखाई। स्त्री रोग विशेषज्ञ का पद अब तक रिक्त है।
जिला अस्पताल में एक माह में औसत 1 हजार 240 इलाज व जांच, सलाह के लिए पहुंचते है। औसत राेजाना 110-120 मरीज पहुंच रहे हैं। एक माह में महज 200-250 मरीज को स्वास्थ्य सुविधा मिल रहा है। बाकी मरीजों का बेड व अन्य व्यवस्था नहीं है,स्वास्थ्य विभाग के अनुसार ऐसे समझें खाली पद को, मनोरोग विशेषज्ञ, शल्य क्रिया विशेषज्ञ, स्त्री रोग विशेषज्ञ, चिकित्सक विशेषज्ञ के पद रिक्त है।
ज्वाइनिंग नहीं लेना चाह रहे हैं डाॅक्टर विभागीय अधिकारी कहते हैं कि अस्पताल में डाॅक्टरों के बैठने के लिए सर्वसुविधायुक्त कमरा नहीं समुचित लाभ नहीं: जिला मुख्यालय संचालित स्वास्थ्य केन्द्र का समुचित लाभ मरीजों को नहीं मिल रहा है। सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र अब जिला अस्पताल में तब्दील तो हो चुका है। लेकिन व्यवस्था पहले जैसी ही है। जिला अस्पताल के वार्डों में भर्ती मरीज और उनके परिजन परेशान हो रहे है।
पर्याप्त सुविधाएं नहीं: मरीजों की जांच के लिए न पर्याप्त डॉक्टर हैं और टैक्नीशियन। सहायक स्टाफ की भी कमी है। लिहाजा लोगों को पर्याप्त सुविधाएं नहीं मिल रही है। गर्भवतियों की सिजेरियन डिलीवरी के लिए सर्जन उपलब्ध नहीं है। वर्षों से सोनोग्राफी मशीन का इस्तेमाल ही नहीं हुआ है और न ही अन्य मशीन का लाभ मरीजों को समुचित मिल रहा है।प्राथमिक इलाज के बाद रेफर: स्वास्थ्य केंद्रों से अक्सर गंभीर मरीजों को बाहर दूसरे जिला अस्पताल रेफर किया जाता है।
निजी अस्पताल का सहारा लेते हैं 40 प्रतिशत मरीज: जिला बनने के बाद स्वास्थ्य सुविधाओं में इजाफा करने शासन द्वारा उपकरण व अन्य सामग्रियों की व्यवस्था करा दिए है लेकिन जगह अभाव होने की वजह से वर्तमान में अव्यवस्था का आलम है। अव्यवस्था होने की वजह से 40 प्रतिशत मरीज निजी अस्पताल में इलाज कराना पसंद करते हैं।लाखों की मशीन तो है लेकिन आॅपरेट करने वाला कोई नहीं: लाखों की डिजीटल एक्स-रे, सोनोग्राफी, डेंटल चेयर, पुराना एक्सरे मशीन सहित अन्य स्वास्थ्य के लिए जांच की मशीन उपलब्ध है लेकिन मशीन को आपरेट करने वाला कोई नहीं है। सिर्फ एक रेडियोलाजिस्ट है वह जितना जानता है मशीनों को आपरेट कर लेता है।
महिला चिकित्सक का अभाव जिला अस्पताल में लंबे समय से महिला चिकित्सक का अभाव बना हुआ है। शासन द्वारा जननी सुरक्षा सहित महिलाओं के लिए कई योजनाएं संचालित की जा रही है। महिला विशेषज्ञों की भी कमी है।
जानिए, विशेषज्ञों की कमी के कारण क्या असर पड़ रहा है स्वास्थ्य विभाग द्वारा आदेश तो जारी कर दिया गया लेकिन आज तक स्त्री रोग विशेषज्ञ डॉक्टर ने ज्वाइन नही किया न ही ज्वाइन करने की संभावना है। जिला अस्पताल में नए डाॅक्टरों ने ज्वाइनिंग ही नहीं लिया, जिसके कारण पद खाली है।

Shahin Khan

Editor, acn24x7.com

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