करोड़ो की पंचायत निधि वाले पंचायत में कहां गयी राशि,किसमें हुआ खर्च मूलभूत सुविधाओं को छोड़ सरपंच का क्या सिर्फ निर्माण कार्य मात्र पर ध्यान?
कोरिया जिला,बैकुण्ठपुर में पटना ही एक ऐसा ग्राम पंचायत है जहां पर सबसे अधिक आय उसे प्राप्त होती है, जो उसे ग्राम से ही विभिन्न स्रोतों से प्राप्त होती है, यही वजह है कि कोरिया जिले का पटना ग्राम पंचायत एक ऐसा ग्राम पंचायत है जो सबसे अधिक आय वाले पंचायत में गिना जाता है, यहां इतना पैसा है पंचायत के पास कि वह उस पैसे को खर्च कर विकास कार्य कर सकती है, किसी पर उसे आश्रित रहने की जरूरत नहीं है, विकास कार्य में सबसे ज्यादा यदि कोई कार्य होता है तो वह है दुकान निर्माण का कार्य, यही वजह है कि नगर पालिका जैसे क्षेत्र में जहां पर इतने दुकान के निर्माण नहीं हुए होंगे उतने दुकान एक निर्माण पटना जैसे ग्राम पंचायत में हुए है, अभी तक पटना ग्राम पंचायत में यदि दुकान निर्माण की गिनती की जाए तो लगभग 100 पहुंच चुकी है और आगे और भी बनाने की तैयारी चल रही है, इसके लिए ग्राम पंचायत के पास पर्याप्त पैसे हैं पर एक स्ट्रीट लाइट लगाने के लिए ग्राम पंचायत के पास पैसे की कमी पड़ गई और विधायक के सामने उन्हें हाथ फैलाना पड़ा है, यह एक बहुत बड़ा सवाल है। जब पटना ग्राम पंचायत द्वारा लाखों की दुकान बनाई जा सकती है तो स्ट्रीट लाइट भी उसी पैसे से लगाया जा सकता है।
लाखों की आय वाले पंचायत में नहीं है पैसा लाईट लगाने के लिये…मांगा पैसा…
हाईवे पर स्ट्रीट लाईट लगाने के लिये सरपंच गायत्री सिंह ने विधायक भईयालाल को कहा तो विधायक ने पूछा की आपके पास पैसा नहीं है क्या? मतलब आपके पंचायत निधि मे पैसा नहीं है क्या, सरपंच गायत्री सिंह द्वारा कहा गया कि नहीं, हमारे पास इतना बजट नहीं है। वहीं खड़े भाजपा नेता रविशंकर शर्मा ने सुझाव देते हुये कहा कि इस काम को क्रेड़ा विभाग को कह दीजिए तो विधायक ने कहा यह काम क्रेड़ा से यदि हो जायेगा तो निष्चित ही मैं अनुषंसा कर दूंगा। सवाल अब यह उठता है कि हाईवे पर स्ट्रीट लाईट लगाने के लिऐ भी क्या पंचायत निधि के पास इतना राषि नहीं है जिसके लिये विधायक निधि की आवष्यकता पड़ रही है। हांलाकि यह सवाल इसलिए भी जरूरी तब हो जाता है जब पटना नगर पंचायत की ओर अग्रसर है और यहां पर बाकी पंचायतों के अपेक्षाकृत आय के साधन मौजुद है।
पंचायत एक एजेंसी है पर पटना पंचायत प्रायवेट कम्पनी के तर्ज पर निमार्ण पर ज्यादा ध्यान देती है
पंचायत स्थित भूमि पर भी दुकान निर्माण के लिए पंचायत के सरपंच और कुछ सहयोगी पंच इन दिनों ऐडी चोटी का दम लगा रहे है जबकि यहां पर व्यवसायिक परिसर के निर्माण में ज्यादातर पंच के साथ ग्रामीणजन विरोध में है पर प्रायवेट कम्पनी के तर्ज पर एक पंच पति का कहना है कि निर्माण तो यहीं होगा। ग्रामीणों का कहना है कि यदि यहां पर व्यवसायिक परिसर बनता है तो पंचायत के पास खाली पड़ी भूमि छोटी हो जायेगी जिससे भविष्य में नगर पंचायत के कार्यालयों के लिये भूमि शेष छोड़ना उचित होगा। नगर पंचायत जिसकी घोषणा हो चुकी है और वह बन सकता है और यदि वह बनता है तो उसके कार्यालय के लिए भूमि कहां से आयेगी यह भी कुछ पंच ध्यान नहीं देना चाहते। कुल मिलाकर देखा जाए तो खाली हर जमीन पर अब पंचायत दुकान ही बनाएगी यह तय नज़र आ रहा है वहीं उसे मूलभूत सुविधाओं की याद तब आयेगी जब नगर विकास नाम की कोई समिति ध्यान दिलायेगी। पटना बाजारपारा में बन रही नाली इसकी बानगी है क्योंकि यह तब बन पाई जब नगर विकास समिति ने सरपंच पर दबाव बनाया और सोशल मिडिया पर पंचायत की नाकामी उजागर की,वरना नाली शायद ही बनती।
सरपंच के तीन पंच इन दिनों खूब हो रहे चर्चित
पटना पंचायत की स्थिति ऐसी हो गयी है जैसे सरपंच खुद से कोई फैसला नहीं ले पा रहे है। इनके साथ ज्यादातर मामले में केवल तीन पंच मौजूद रहते है जो किसी भी निर्णय में इनका महत्वपूर्ण योगदान रहता है। और इनके निर्णय के विरूद्ध सरपंच कुछ कह पाने में असमर्थ होती है। सरपंच गायत्री सिंह जिन्हें सरपंच पद का पहले से अनुभव है वहीं इनके पति भी सरपंच रह चुके है इसके बावजुद वर्तमान सरपंच काल में इनके कार्यषैली पर लोगो में संतुष्टि नजर नहीं आ रही है। लोगों में चर्चा है कि यदि वह इन तीन पंचो के चंगुल से बाहर निकल जाये और अपने विवेक से काम करें तो इनके जैसा सरपंच कोई और नहीं होगा। हांलाकि सरपंच महिला है पर चलता सरपंच पति का है वहीं पंचो के साथ भी वही है कुछ पंच महिला है पर पूरा दखलअंदाजी उनके पतियों का रहता है