वन विभाग ग्रामीण लकड़ीया जप्त करने लगे खानापूर्ति किया जा रहा है और जंगल बचाने असफल रेंजर मनेन्द्रगढ़ वन विभाग के छोटे बड़े अधिकारी मिलीभगत लकड़ी माफिया मालामाल
मनेन्द्रगढ़ जिला एम,सी,बी,वनों के प्रति लापरवाही की सुर्खियों के बीच वन मंडल मनेन्द्रगढ़ अंतर्गत रेंज महेंद्रगढ़ सहित कुवारपुर रेंज में सरगुजा वन वृत के मुख्य वन संरक्षक विश्वनाथन मथेस की सख्ती के बाद वनों में व्याप्त भर्रासाही और जंगलों की अंधाधुंध कटाई पर एक दिनों लगातार जांच का सिलसिला जारी है एक तरफ कुवारपुर रेंज के मसरार बीट में सैकड़ो सरई पेड़ों की कटाई के मामले में जहां दोषियों को पदस्थ स्थान से पृथक कर विभागीय जांच व कार्यवाही सहित वन संपत्ति हर्जाना की भरपाई की कार्यवाही प्रक्रिया में है तो वही सी सी एफ की कार्यवाही से डरे सहमे रेंजर मनेन्द्रगढ़ सुबह आनन फानन में मनेन्द्रगढ़ क्षेत्र अंतर्गत रौतेरा सर्कल के रोकड़ा बिट के बगल ग्राम मे पहुंचे और एक ग्रामीण के यहां से जंगल से काटी गई लकड़ियों को जप्त किया और उस पर पी ओ आर की कार्यवाही की प्रक्रिया में लग गए पर एक महत्वपूर्ण पहलू यह भी है कि क्या वन विभाग के पास अब जंगल बचाने के बजाय कटे हुए जंगलों की संपत्ति पर पी ओ आर की कार्यवाही ही विकल्प बनकर रह गई है और इसी कार्यवाही को दर्शाकर जंगल बचाने की नाकामयाबी पर पर्दा डालने का तरीका बन चुका है जबकि प्राकृतिक वनों की छोटी सी भी कैजुअल्टी के लिए वन विभाग में वन संरक्षण नियमों का बड़ा सख्त खाका मौजूद है और जिनको विभाग द्वारा अमलीजामा नहीं पहनाया जाता और जिसके पीछे विभाग के अफसर की आपसी मिली भगत होती है और जिस बार वह दोषी बच निकलते हैं जिनकी लापरवाही से वनों के विनाश की लगातार पुनरावृत्ति होती रहती है अगर विभाग के ऊंचे पदों पर बैठे अवसर वन संरक्षक अधिनियम के अनुसार जिम्मेदारों पर कार्यवाही करते तो देश सहित राज्य और तमाम वन मंडलों में रोपण और प्राकृतिक वनों के विशाल जंगल होते पर दुर्भाग्य अवश्य नियमों के पुलिंदे आज भी सिर्फ लाल कपड़ों में ही बंदे हैं